सड़क और ‘सोशल’ दोनों पर बिहार सरकार का पहरा, नए फरमान से सियासी तूफान
हथुआ न्यूज़ (पटना) : देश मे बोलने की आजादी का फायदा कुछ लोग व्यक्तिगत दुश्मनी साधने के लिए भी करने लगे है और इस पर लगाम लगाना भी जरूरी है एक फरवरी को बिहार पुलिस के DGP एस के सिंघल ने एक चिट्ठी सभी जिलों के एसपी को जारी की थी । एक फरवरी 2021 को जारी इस चिट्ठी में लिखा है कि ”यदि कोई व्यक्ति किसी विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पात्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए। ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि उनमें सरकारी नौकरी, सरकारी ठेके नही मिल पाएंगे।
इतना ही नहीं इसका सौ फीसदी पालन किया जाए, इसके लिए पुलिस महकमे के ऊपर से नीचे तक के अफसरों को निर्देश दिया गया है। साफ-साफ लिखा है कि ”प्रतिवेदन तैयार करने के लिए संबंधित थाना द्वारा सभी अभिलेखों यथा- अपराध अनुक्रमणी भाग-2 अल्फाबेटिकल पंजी, प्राथमिकी, आरोप-पत्र एवं अन्य सभी आवश्यक अभिलेखों का अध्ययन किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में चूक नहीं होनी चाहिए। पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन पूर्ण और सही-सही हो, यह संबंधित थानाध्यक्ष की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी।”
21 जनवरी को जारी हुए एक ऐसे ही खत ने पहले से ही सियासी हंगामा खड़ा कर रखा है। इस चिट्ठी में पुलिस विभाग की तरफ से साफ कर दिया गया कि सरकार के किसी मंत्री, सांसद, विधायक या सरकारी अफसर की छवि धूमिल के आरोप में पोस्ट लिखने वालों पर आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खान ने इस बारे में सभी विभागों के प्रधान सचिव और सचिव को चिट्ठी लिखी है। खत में बताया गया है कि अगर आपके विभाग में इस तरह का मामला सामने आता है तो आर्थिक अपराध इकाई को इसकी विस्तृत सूचना दी जाए ताकि दोषियों पर उचित कार्रवाई की जा सके। आर्थिक अपराध इकाई साइबर अपराध की नोडल एजेंसी है। सोशल मीडिया पर अश्लीलता, साइबर बुलिंग, साइबर उत्पीड़न जैसे मामले आर्थिक अपराध इकाई के तहत आते हैं।