पूरे बिहार में बिजली की भारी किल्लत, ग्रामीण क्षेत्रो में 10 घंटे से ज्यादा बिजली की कटौती

पटना (हथुआ न्यूज़): एनटीपीसी की छह यूनिट बंद होने से पूरे बिहार में बिजली की भारी किल्लत हो गई। शुक्रवार को राज्य को जरूरत से 1500 मेगावाट तक कम बिजली मिली। इस कारण दर्जनों ग्रिड लोडशेडिंग में रखना पड़ा।शहर से लेकर गांव तक घंटों बिजली गुल रही। शहरों में चार से पांच घंटे तो ग्रामीण इलाकों में 10 घंटे तक कटौती हो रही है। भीषण गर्मी में कटौती होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
अधिकारियों के अनुसार एनटीपीसी कांटी की एक यूनिट बंद होने से बिहार को 133 मेगावाट कम बिजली मिली। नवीनगर की एक यूनिट बंद होने से 525 मेगावाट बिजली कम मिली। बरौनी की तीन यूनिट बंद रही। यूनिट संख्या सात बंद होने से 110 मेगावाट, यूनिट संख्या छह बंद होने से 93 मेगावाट और यूनिट संख्या आठ बंद होने से बिहार को 230 मेगावाट कम बिजली मिली।
वहीं एनटीपीसी फरक्का की यूनिट संख्या छह बंद होने से बिहार को 101 मेगावाट कम बिजली मिली। इन यूनिटों में अधिकतर के बंद होने का तकनीकी कारण है। किसी का ट्यूब लिकेज हो गई है तो किसी यूनिट में कुछ और तकनीकी खराबी आ गई है। इस कारण बिहार को केंद्रीय कोटा से 1196 मेगावाट कम बिजली मिली।निजी कंपनियों के पास कोयले का संकट उत्पन्न हो गया। इसका असर उत्पादन पर हुआ। जीएमआर कमलांगा से बिहार को 170 मेगावाट और जिंदल से 128 मेगावाट बिजली कम मिली। इस तरह एनटीपीसी व निजी कंपनियों को मिलाकर बिहार को 1494 मेगावाट बिजली कम मिली। बिहार ने खुले बाजार से बिजली खरीदने का भरसक प्रयास किया, लेकिन अधिक बोली लगाने के बावजूद नहीं मिल सकी। कंपनी अधिकारियों के अनुसार खुले बाजार में बिजली की दर 12 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई। बिजली कंपनी ने इस दर पर भी बिजली लेने की कोशिश की पर सफलता हाथ नहीं लगी। बाजार में अधिक बोली लगाने के बावजूद बिहार को बिजली नहीं मिल सकी। नतीजतन जो बिजली मिली, उससे ही कंपनी को काम चलाना पड़ा। कोटा से कम बिजली मिलने के कारण दो दर्जन से अधिक ग्रिड को लोडशेडिंग पर रखा गया। आम दिनों में कंपनी 6200 मेगावाट से अधिक बिजली आपूर्ति करती है, लेकिन शुक्रवार को पीक आवर में भी पांच हजार मेगावाट बिजली आपूर्ति हुई। जब तक एनटीपीसी की सभी इकाइयां चालू नहीं हो जातीं, तब तक लोडशेडिंग का सिलसिला यूं ही जारी रहने के आसार हैं। हालांकि एनटीपीसी के अधिकारियों ने दावा किया कि तकनीकी खराबी को दुरुस्त किया जा रहा है और कभी भी यूनिटों से उत्पादन शुरू हो सकता है। लोडशेडिंग के बीच ग्रामीण इलाकों में जहां पांच से सात घंटे तक बिजली गुल रही, वहीं शहरी इलाकों में चार-पांच घंटे की बिजली गुल के अलावा ट्रिपिंग की समस्या से लोग हलकान रहे। दिन की तुलना में रात में ट्रिपिंग की समस्या अधिक रही। हर घंटे-दो घंटे पर बिजली की आवाजाही से लोग परेशान रहे। बार-बार फ्यूज कॉल के उड़ने से लोग अंधेरे में रहने को विवश रहे। गर्मी में बिजली की आंखमिचौली से लोगों को भरपूर नींद नहीं आई। गर्मी में एसी व अन्य उपकरणों के चलने से ट्रांसफॉर्मर पर लोड बढ़ गया है। इस कारण ट्रिपिंग की समस्या बढ़ गई है।


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