
फूलों के व्यवसाय से राकेश ने संभाली अपनी और अपने परिवार की जिंदगी।
मीरगंज (हथुआ न्यूज़): कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते प्रकोप के कारण जहां कई व्यवसाई अपना जमा जमाया धंधा खो चुके हैं वही हार ना मानते हुए फूलों के व्यवसायी राकेश कुमार ने फूलों के धंधे से अपने और अपने परिवार को एक बार फिर सुहाने मोड़ पर ला खड़ा किया है। वे कहते हैं कि दोबारा जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए इस बार उनकी सहारा फूल बने हैं। फूलों ने राकेश की जिंदगी को ना सिर्फ संवार दिया है बल्कि उनके परिवार को भी आर्थिक संबल प्रदान कर एक नया मुकाम दिया है। राकेश ने बताया कि स्थानीय स्तर पर मध्यम बाजार होने के कारण फूलों के लिए लोगों में चाहत तो है पर वे इसके लिए पैसा खर्च करने में ना-नुकुर ज्यादा करते हैं।ऐसे में लोगों में फूलों को दिलचस्पी बनाए रखना तथा साथ ही साथ कीमत को वाजिब रखना उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी। और उन्होंने धैर्य के साथ इन दोनों में संतुलन बनाकर फूलों को व्यवसाय को एक नई पहचान दी है। मूलतः बनारस के रहने वाले राकेश ने बताया कि कम जमा पूंजी होने के कारण उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि कैसे कम रकम में अच्छी आमद प्राप्त की जाए। बहुत सोच विचार के बाद उन्होंने यहां पर फूलों का खेती करने की बजाय तैयार फूलों के पौधों को खरीदने को बेहतर समझा।
अपने अनुभव को साझा करते हुए राकेश कुमार ने बताया कि वे मौसमी फूलों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि वे मौसम के मार को आसानी से झेल सकते हैं और जल्दी से फूल भी देने में काबिल होते हैं। यही कारण है कि उन्होंने बनारस के विभिन्न उद्यानों से सस्ते दर पर फूलों के पौधे खरीदते हैं और उन्हें यहां लाकर थोड़े मुनाफा में ही बेच डालते हैं। उन्होंने बताया कि आज के मौसम में उनके यहां विभिन्न प्रकार के गेंदा फूल , डहेलिया, पिटूनिया, गुलदावदी, गुलाब इत्यादि के फूल प्रचुर मात्रा में है।